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Showing posts from January, 2023

चित्रकूट धाम जहां कंण – कंण में बसते हैं राम....

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  चित्रकूट धाम जहां कंण – कंण में बसते हैं राम.... पाठकों नमस्कार । ईनसाइट स्टेटमेंट का पिछला लेख जो की रामेश्वरम धाम से संबन्धित था, को आप सब ने पसंद किया एवं बहुत सराहा । इस प्रोत्साहन के लिए आप सब का हृदय से आभार । मैं आप लोगों को  अभी केवल उन्ही पर्यटक अथवा तीर्थ स्थलों से अवगत कराने का प्रयास कर रहा हूँ जहां मैंने  स्वयं जाकर वहां के महत्व को जाना है।   मित्रों इस बार बारी है भारत के एक प्राचीन तीर्थस्थल की जिसका नाम है चित्रकूट धाम । चित्रकूट धाम उत्तरप्रदेश में मन्दाकिनी नदी के किनारे एवं विंध्याचल पर्वत श्रंखलाओं के उत्तर में स्थित एक पवित्र तीर्थ स्थल है । रामायण  के अनुसार अपने चौदह वर्ष के वनवास काल में ग्यारह वर्षों तक यह भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण का निवास स्थान था। यही वह जगह है, जहां श्री राम जी ,  ऋषि अत्री और सती अनसूया के संपर्क में आए थे। असंख्य मंदिरों और तीर्थों के साथ प्रकृति शांति व सुंदरता में लिपटा हुआ यह क्षेत्र अत्यंत मनमोहक है।  चित्रकूट एक प्राकृतिक स्थान है जो प्राकृतिक दृश्यों के साथ साथ अपने आध्यात्मिक महत्त्व के लिए भी प्रसिद्ध है। एक पर

भारत का आखिरी गांव 'माणा' स्वर्ग से कम नहीं है यहां का नजारा....

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  भारत का आखिरी गांव 'माणा' स्वर्ग से कम नहीं है यहां का नजारा.... इस बार हमनें उत्तराखंड के प्रसिद्ध चारधाम यात्रा के प्रमुख दो धामों श्री केदारनाथ जी एवं श्री बद्रीनाथ जी की यात्रा की । अत्यंत ही मनमोहक व आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण यात्रा थी यह । इन दो धामों के बारे में कतिपय आप सभी लोग जानते होंगे और इनके बारे में विस्तृत साहित्य भी उपलब्ध है । अतः पाठकों इस बार मैं आपको ले चलूँगा एक अद्भुत यात्रा पर जो है भारत का आखिरी गाँव और इस स्थल की खोज वस्तुतः इसी यात्रा की देन है । क्या अपने कभी विचार किया है की भारत का आखरी गांव कौन सा है ? वहाँ का जीवन कैसा है ? इतना ही नहीं भारत के इस अंतिम गांव से सीधा स्वर्ग के लिए रास्ता जाता है। तो चलिए जानते हैं भारत के इस अनोखे और अंतिम गांव के बारे में – दरसअल हम बात कर रहे है भारत के आखिरी गांव माणा के बारे में जिसे देखने के लिए न केवल देसी पर्यटक बल्कि विदेशी पर्यटक भी खूब पहुंचते है। इस गांव का पौराणिक नाम मणिभद्र है। माणा गांव अपनी सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ कई अन्य कारणों की वजह से भी मशहूर है। उत्तराखंड के चमोली जिले में भार