सन 1858 की वह वीरगाथा जो आपकी अंतरात्मा को झकझोर देगी - बावनी इमली
🌹बावनी इमली🌹 प्रिय मित्रों अद्भुत वीर गाथा है, इसे पढ़ें मनन करें और विशेष आग्रह है अपने बच्चों को अवश्य बताएं। वामपंथी इतिहासकारों ने कभी इस वीरगाथा का मूल्य ना समझा। 162 साल पुराना इमली का वृक्ष आज भी अपने दुर्भाग्य पर अश्रु बहा रहा है। हमें अपने वीरों पर गर्व है। भारतवर्ष की यह पावन भूमि ऐसे ही वीर रणबांकुरों की जननी रही है। भारत की वो एकलौती ऐसी घटना जब , अंग्रेज़ों ने एक साथ 52 क्रांतिकारियों को इमली के पेड़ पर लटका दिया था, बदकिस्मती से वो क्रांतिकारी राजपूत थे शायद इसलिए, इतिहास की इतनी बड़ी घटना ,आज भी गुमनाम है...... उत्तरप्रदेश के फतेहपुर जिले में स्थित बावनी इमली एक प्रसिद्ध इमली का पेड़ है, जो भारत में एक शहीद स्मारक भी है। इसी इमली के पेड़ पर 28 अप्रैल 1858 को गौतम क्षत्रिय, जोधा सिंह अटैया और उनके इक्यावन साथी फांसी पर झूले थे। यह स्मारक उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के बिन्दकी उपखण्ड में खजुआ कस्बे के निकट बिन्दकी तहसील मुख्यालय से तीन किलोमीटर पश्चिम में मुगल रोड पर स्थित है। यह स्मारक स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किये